india women's national cricket team vs south africa women's national cricket team match scorecard
नमस्ते,
ब्लॉग टाइटल: The Wait is Over! आँसू, जुनून और एक कप जो अब हमारा है: Team India ने जीता 2025 Women's World Cup!
Women's Cricket World Cup 2025 Final, India vs South Africa, Team India wins, Harmanpreet Kaur, Shafali Verma, Deepti Sharma, India first World Cup, DY Patil Stadium, Laura Wolvaardt, Women in Blue
भाग 1: वो आखिरी पल... और 52 साल का इंतज़ार खत्म
वो पल। वो एक पल।
जैसे ही गेंद हवा में उठी, समय जैसे थम गया। नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में 40,000 लोगों की साँसें अटक गईं। 140 करोड़ लोग अपनी स्क्रीन से चिपक गए। गेंद नीचे आ रही थी, और उसके नीचे थीं भारतीय कप्तान, Harmanpreet Kaur.
यह सिर्फ एक कैच नहीं था। यह 2005 के फाइनल की हार का दर्द था। यह 2017 में लॉर्ड्स में 9 रनों से टूटे हुए सपनों का बोझ था। यह उन अनगिनत घंटों की मेहनत, पसीना और आँसुओं का फल था, जो Mithali Raj और Jhulan Goswami जैसी दिग्गजों ने इस सपने को सींचने में लगाए थे।
Harmanpreet ने गेंद को पकड़ा, और एक सेकंड के लिए सब शांत हो गया। फिर, एक दहाड़... एक ऐसी दहाड़ जो दशकों के इंतजार को चीरती हुई निकली। Harmanpreet Kaur रो रही थीं। Smriti Mandhana रो रही थीं। डगआउट में बैठी हर खिलाड़ी रो रही थी। और उनके साथ रो रहा था पूरा देश।
ये खुशी के आँसू थे। ये जीत के आँसू थे।
2 नवंबर, 2025. इस तारीख को इतिहास में लिख लीजिए। भारत की बेटियों ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों के विशाल अंतर से हराकर, अपना पहला-पहला ICC महिला क्रिकेट विश्व कप का खिताब जीत लिया है।
'चोकर्स' का टैग हट चुका है। 'फाइनलिस्ट' का तमगा बदल चुका है। आज से, और हमेशा के लिए, उन्हें एक ही नाम से जाना जाएगा: वर्ल्ड चैंपियंस!
भाग 2: बारिश, दबाव और एक 21 साल की लड़की का तूफान
मैच का दिन तनाव से भरा था। आसमान में बादल थे और खेल शुरू होने से पहले ही बारिश ने दस्तक दे दी। दो घंटे का विलंब। एक घरेलू फाइनल का दबाव और ऊपर से मौसम की अनिश्चितता। यह किसी भी टीम के हौसले को तोड़ने के लिए काफी था।
दक्षिण अफ्रीका की कप्तान, Laura Wolvaardt ने टॉस जीता और बिना किसी झिझक के पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। यह एक तार्किक फैसला था। बादलों के नीचे, पिच में नमी थी और उनका लक्ष्य भारत को एक छोटे स्कोर पर रोकना था।
लेकिन शायद उन्होंने भारत की 21 साल की 'वंडर किड' Shafali Verma के इरादों को नहीं समझा था।
Shafali के साथ क्रीज पर उतरीं 'क्रिकेट की क्वीन' Smriti Mandhana. स्टेडियम खचाखच भरा था, और हवा में "इंडिया! इंडिया!" का शोर गूंज रहा था।
पहला ओवर। Shafali ने गेंद को परखा। दूसरा ओवर। और फिर शुरू हुआ 'द शेफाली शो'। Shafali Verma ने दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाजों को रिमांड पर ले लिया। उनके बल्ले से निकले कवर ड्राइव में क्लास थी, तो लेग साइड पर खेले गए फ्लिक में क्रूरता। वह गेंद को मार नहीं रही थीं, वह उसे सज़ा दे रही थीं।
दूसरी ओर, Smriti Mandhana (45) अपने चिर-परिचित अंदाज में खेल रही थीं। उनकी बल्लेबाजी में एक सुकून था, एक ठहराव। वह Shafali को स्ट्राइक दे रही थीं और खराब गेंदों को बाउंड्री के बाहर भेज रही थीं। यह आग और बर्फ का एक घातक कॉम्बिनेशन था।
दोनों ने मिलकर 104 रनों की साझेदारी की। यह सिर्फ एक साझेदारी नहीं थी; यह दक्षिण अफ्रीका के आत्मविश्वास पर किया गया एक सर्जिकल स्ट्राइक था। Shafali ने अपना अर्धशतक पूरा किया और शतक की ओर बढ़ती दिख रही थीं। ऐसा लग रहा था कि वह आज कुछ भी गलत नहीं कर सकतीं।
लेकिन 87 रनों के अविश्वसनीय स्कोर पर (78 गेंदों में, 7 चौके और 2 छक्के), वह एक बड़ा शॉट खेलने के प्रयास में आउट हो गईं। जब वह पवेलियन लौट रही थीं, तो पूरे स्टेडियम ने खड़े होकर इस युवा योद्धा का अभिवादन किया। वह अपना शतक चूक गईं, लेकिन उन्होंने एक ऐसा मंच तैयार कर दिया था, जिस पर भारत 350 रनों का स्कोर भी खड़ा कर सकता था।
भाग 3: मध्यक्रम का लड़खड़ाना और 'ऑलराउंडर्स' का उदय
Shafali के आउट होते ही, स्टेडियम में एक पल के लिए सन्नाटा पसर गया। और यहीं से दक्षिण अफ्रीका ने वापसी की।
Smriti Mandhana भी 45 रन बनाकर पवेलियन लौट गईं। अब क्रीज पर थीं Jemimah Rodrigues (24) और कप्तान Harmanpreet Kaur (20)। दोनों पर पारी को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी थी। दोनों ने शुरुआत अच्छी की, कुछ अच्छे शॉट्स खेले, लेकिन अपनी शुरुआत को बड़े स्कोर में नहीं बदल सकीं।
भारत का स्कोर, जो एक समय 104/0 था, अचानक 171/3 हो गया। और फिर 200 के पार जाते-जाते Harmanpreet भी आउट हो गईं। एक बार फिर, वही पुराना डर भारतीय प्रशंसकों को सताने लगा। क्या हम एक अच्छी शुरुआत के बाद फिर से बिखर जाएँगे? क्या 2017 का फाइनल दोहराया जाएगा?
नहीं। इस बार नहीं।
क्योंकि इस बार क्रीज पर थीं भारत की सबसे भरोसेमंद ऑलराउंडर - Deepti Sharma.
Deepti Sharma ने आते ही पारी को संभाला। उन्होंने सिंगल-डबल पर फोकस किया और स्कोरबोर्ड को चलाते रखा। लेकिन उन्हें एक साथी की जरूरत थी। और वह साथी उन्हें मिलीं Richa Ghosh के रूप में।
Richa Ghosh (24 गेंदों पर 34 रन) एक छोटे पैकेट में बड़ा धमाका हैं। उन्होंने आते ही दक्षिण अफ्रीकी स्पिनरों पर पलटवार किया। उनके रिवर्स स्वीप और कदमों का इस्तेमाल कर लगाए गए छक्कों ने मैच का मोमेंटम एक बार फिर भारत की ओर मोड़ दिया।
दूसरी ओर, Deepti Sharma ने अपना गियर बदला। जो Deepti पहले पारी को संवार रही थीं, अब वह प्रहार कर रही थीं। दोनों ने मिलकर 47 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी की, जिसने भारत को 270 के पार पहुँचाया। Richa के आउट होने के बाद, Deepti Sharma ने अपनी जिम्मेदारी निभाई और एक शानदार अर्धशतक (58 रन) पूरा किया।
भारत ने 50 ओवरों में 298/7 का स्कोर बनाया। यह एक विशाल स्कोर था। एक फाइनल के दबाव में 299 रनों का लक्ष्य किसी भी टीम के लिए एवरेस्ट चढ़ने जैसा होता है। आधा काम हो चुका था, लेकिन सबसे मुश्किल आधा अभी बाकी था।
भाग 4: 'कैप्टन लौरा' की दीवार और खामोश होता स्टेडियम
299 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी दक्षिण अफ्रीका की टीम। और उनकी कप्तानी कर रही थीं दुनिया की सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक, Laura Wolvaardt.
Laura Wolvaardt ने अपनी पारी की शुरुआत वहीं से की, जहाँ Shafali Verma ने छोड़ी थी। उनके कवर ड्राइव इतने खूबसूरत थे कि भारतीय प्रशंसक भी तालियाँ बजाने को मजबूर हो गए। Laura ने एक छोर पर लंगर डाल दिया और भारतीय गेंदबाजों पर लगातार प्रहार करती रहीं।
विकेट गिरते रहे, लेकिन Laura Wolvaardt एक दीवार की तरह खड़ी रहीं।
उन्होंने अपना अर्धशतक पूरा किया... 70 रन... 80... 90... और फिर, उन्होंने एक शानदार शतक (101 रन) जड़ दिया। यह एक विश्व कप फाइनल में लक्ष्य का पीछा करते हुए सबसे बेहतरीन शतकों में से एक था।
जब तक Laura Wolvaardt क्रीज पर थीं, दक्षिण अफ्रीका मैच में बनी हुई थी। स्टेडियम, जो पहले शोर से गूंज रहा था, अब वहाँ एक घबराहट भरी खामोशी थी। भारतीय खिलाड़ी तनाव में दिख रहे थे। कंधे झुकने लगे थे। ऐसा लग रहा था कि एक अकेली महिला भारत से यह कप छीन कर ले जाएगी।
दक्षिण अफ्रीका का स्कोर 209/5 था। उन्हें जीत के लिए 90 से भी कम रन चाहिए थे और उनकी कप्तान शतक बनाकर क्रीज पर थीं। भारत को एक विकेट नहीं, एक चमत्कार की जरूरत थी।
भाग 5: वो 'गोल्डन ओवर' जिसने इतिहास लिख दिया
कप्तान Harmanpreet Kaur के चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था। उन्होंने अपने हर गेंदबाज को आजमा लिया था। अब गेंद किसके हाथ में दी जाए?
और उन्होंने भरोसा जताया... Deepti Sharma पर।
Deepti, जो पहले ही बल्ले से 58 रन बना चुकी थीं, अब गेंद लेकर आईं। उनके सामने थीं Laura Wolvaardt, जो आज अजेय लग रही थीं।
Deepti ने गेंद फेंकी... एक क्लासिक ऑफ स्पिनर की गेंद। Wolvaardt ने आगे बढ़कर उसे खेलने की कोशिश की, लेकिन गेंद घूमी, बल्ले का किनारा लिया और सीधा फील्डर के हाथों में।
आउट! LAURA WOLVAARDT आउट!
पूरा स्टेडियम जैसे जी उठा। Harmanpreet Kaur ने Deepti Sharma को गले लगा लिया। यह सिर्फ एक विकेट नहीं था; यह मैच था। यह वर्ल्ड कप था।
लेकिन Deepti Sharma यहीं नहीं रुकीं। उस समय क्रीज पर आईं खतरनाक Chloe Tryon. Deepti ने अगली ही कुछ गेंदों में Tryon को भी फँसाया और LBW आउट कर दिया।
एक ही ओवर में दो विकेट! और दोनों सेट बल्लेबाज!
यह वह पल था जिसने दक्षिण अफ्रीका की कमर तोड़ दी। यह वह 'गोल्डन ओवर' था जिसने भारत की जीत पक्की कर दी। Deepti Sharma ने बल्ले से 58 रन बनाने के बाद, गेंद से 39 रन देकर 5 विकेट झटके। यह विश्व कप फाइनल के इतिहास का सबसे महान ऑलराउंड प्रदर्शन था।
इसके बाद, Shafali Verma ने भी गेंद से दो विकेट लेकर रही-सही कसर पूरी कर दी। दक्षिण अफ्रीका की टीम, जो एक समय 209/5 पर थी, 45.3 ओवरों में 246 रनों पर ढेर हो गई।
भाग 6: एक नई सुबह... एक नई विरासत
जैसे ही Harmanpreet Kaur ने वह आखिरी कैच पकड़ा, वह जमीन पर गिर पड़ीं। आँसू बह निकले। सालों का इंतजार, सालों की मेहनत, आज सफल हो गई थी। खिलाड़ियों का एक-दूसरे को गले लगाना, तिरंगे के साथ मैदान का चक्कर लगाना... यह एक ऐसा दृश्य था जिसे कोई भारतीय कभी नहीं भूल सकता।
डगआउट में बैठी Jhulan Goswami मुस्कुरा रही थीं। यह उनकी भी जीत थी। Mithali Raj की भी जीत थी। यह उन सभी महिलाओं की जीत थी जिन्होंने भारत में महिला क्रिकेट का पौधा लगाया था।
Harmanpreet Kaur ने आज Kapil Dev (1983) और MS Dhoni (2011) की विरासत को आगे बढ़ाया है। वह विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला कप्तान बन गई हैं।
यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं है। यह एक क्रांति है। यह उस छोटी लड़की के लिए एक संदेश है जो भारत के किसी छोटे से गाँव में टीवी पर यह मैच देख रही है और कल बल्ला उठाने का सपना देखेगी। यह उसे बताने के लिए है कि तुम भी कर सकती हो। तुम भी वर्ल्ड चैंपियन बन सकती हो।
आज, 'वीमेन इन ब्लू' ने आसमान को छू लिया है। यह एक नई सुबह है। यह भारतीय क्रिकेट का 'गोल्डन एरा' है।
जय हिन्द!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें